प्यार, सेल्फ मोटिवेशन, हमें इस तेजी से भागती दुनिया में मजबूत रहना सिखाता है.. यह हमारी आंतरिक शक्ति है.. जो हमें कभी निराश नहीं होने देती.. क्या आप सेल्फ लव, सेल्फ मोटिवेशन दिखाने के लिए ये काम करते हैं? ये आर्टिकल खास आपके लिए है..
‘प्यार’ शब्द में बहुत ताकत है.. प्यार देने के लिए है.. प्यार लेने के लिए है.. दुनिया प्यार से चलती है..
हमें महान प्रेम कहानियाँ सुनाई जाती हैं.. चाहे वह सत्यवान-सावित्री हों या जिजाऊ-शिव..
कर्तव्य के महान पर्वतों को प्रेम ने पार कर लिया है।
हमें खुद से भी इसी तरह प्यार करना चाहिए.. ये कभी भी स्वार्थी सोच नहीं है..
वास्तव में अगर हम खुद से प्यार कर सकते हैं तो हम दूसरों से भी प्यार कर सकते हैं.. इसलिए खुद से प्यार करने में कुछ भी गलत नहीं है..
‘आत्म प्रेम’ हमारे आरोही आलेख का मंत्र बन जाता है.. आत्म प्रेम आपके काम में निरंतर सफलता के लिए एक बूस्टर खुराक बन जाता है..
अपने आप को निस्वार्थ भाव से प्यार करने से क्या ठीक हो सकता है.??
1) अगर हम खुद से प्यार करते हैं, तो हम अपना सर्वश्रेष्ठ संस्करण दुनिया के सामने ला सकते हैं। केवल प्रेम सही दिशा में होना चाहिए.. स्वार्थी प्रेम आत्म-विनाश की ओर ले जाता है.. इसलिए स्वार्थी और निःस्वार्थ प्रेम के बीच की इस महीन रेखा को पार नहीं करना चाहिए..
2) अगर आप अपना ख्याल नहीं रखेंगे तो आप कितनी दूर जाएंगे..?? जिंदगी एक ही जगह अटक जाएगी.. अपना ख्याल रखें.. जो आप चाहते हैं और जो नहीं चाहते वो दीजिए. तभी आप सफलता की हर सीढ़ी आत्मविश्वास के साथ चढ़ सकते हैं..
3) आत्म प्रेम आपको खुद को समझने में मदद करेगा.. और इस समझ का महत्वपूर्ण लाभ यह है कि आप दूसरे व्यक्ति के साथ भी बेहतर तरीके से जुड़ पाएंगे.. आपको अपने आस-पास के लोगों को समझना और उनसे प्यार करना बहुत आसान लगेगा।
4) हम जीवन भर दूसरों के लिए प्रयास करते हैं। हमें यह एहसास ही नहीं होता कि हमें अपने लिए जीना है.. फिर बुढ़ापे में हम चिंतित हो जाते हैं.. क्योंकि हमें अपने लिए कुछ करने की आदत नहीं है, क्योंकि हमें खुद से संवाद करने की आदत नहीं है, हमें लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है …
फिर भी हमें कोई खुद से प्यार करना नहीं सिखाता, क्यों.. तो हम कह रहे हैं.. वक्त रहते खुद को भी महत्व दो… जिंदगी कितनी खूबसूरत हो जाएगी.. और फिर देखना कई लोग आपसे प्रेरणा लेंगे और बनाएंगे उनकी जिंदगी भी खूबसूरत है..
5) लेकिन खुद को किसी और जैसा बनाने की कोशिश मत करो.. आप जैसे हो वैसे ही खूबसूरत हो.. खुद को स्वीकार करो तभी आप खुद को खुश रख सकते हो.. आप कैसे दिखते हो, आपका रंग, आपका अंदाज सब अलग है लेकिन बुरा नहीं है। आश्वस्त रहें.. कार्य करें, बात करें, ज्ञान प्राप्त करें, अपनी गलतियाँ सुधारें लेकिन अपने आप को कम आंकने में अपना जीवन व्यतीत न करें…
दूसरों की तरह जीना या दूसरों के अनुसार अपना जीवन जीना स्वयं के व्यक्तित्व का अपमान है.. हर कोई अद्वितीय है.. और हर किसी की विशिष्टता ही उस व्यक्ति को एक पहचान देती है.. अपनी खुद की पहचान को मत मिटाओ, मत मिटाओ रहने भी दो..
6) अपने आप से प्रतिस्पर्धा करें.. यदि आपको किसी और से प्रतिस्पर्धा करनी है, तो इसे मित्रवत तरीके से न करें.. इसे दूर रखें.. यदि आप हार भी जाएं, तो भी खुद को दोष न दें.. इससे सीखें और आगे बढ़ें .. अपने आप को फिर से तैयार करें…
अपने दिमाग पर लगातार चिंता का बोझ न डालें…
7) आप जैसे हैं वैसे ही कार्य करें.. सिर्फ लोगों को खुश करने के लिए नकली अभिनय न करें.. इससे आप पर बहुत दबाव पड़ता है.. अनजाने में आप नाटककार बन जाते हैं, अपनी मौलिकता खो देते हैं.. ऐसा न होने दें..
जब सफलता की बात हो तो अपने आप पर बहुत अधिक कठोर मत बनो।
8) प्यार करने वाले, सच्चे लोगों के साथ रहें.. जो लोग खुद से भरपूर प्यार करते हैं वे बहुत खुश रहते हैं.. आप उनकी संगति में बहुत तरोताजा महसूस करेंगे। आप बहुत कुछ सीखेंगे.
9) बेशक आपकी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपने साथ कैसा व्यवहार करते हैं। इस शब्दावली को समझें. अगर आप खुद को दोष देते रहेंगे तो आपके सामने कभी भी काम नहीं हो पाएगा.. आप सफलता से कोसों दूर रह जाएंगे..
बल्कि जब आप जो भी करते हैं उसे पूरा करने के बाद खुद की सराहना करें.. सीखें कि क्या कोई इसे आपसे बेहतर कर सकता है.. यह महसूस न होने दें कि आप यह नहीं कर सकते, कि आप बेकार हैं…
10) कभी-कभी अपने आप को दावत दें.. अपने लिए समय निकालें.. दोस्तों और परिवार के साथ खूब मौज-मस्ती करें.. यहां तक कि कभी-कभी अकेले यात्रा पर भी जाएं.. आपको खुद को समझने के लिए बहुत आराम का समय मिलेगा.. इसमें खो जाएं प्रकृति..
अपने जन्मदिन पर किसी स्पा में जाएँ। खरीदारी करने जाएं.. जब खुद को खुश रखने की बात आती है, तो अपराधबोध आपका सबसे बड़ा दुश्मन है।
कभी-कभी हम तंग आ जाते हैं क्योंकि हम अकेले मौज-मस्ती कर रहे होते हैं.. लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि जब आप दुनिया में होते हैं तो अपने परिवार के लिए एक दिन खुद को देना कोई गलती नहीं है। वास्तव में यह आपके प्रति हमारा कर्तव्य है।
11) अपना ख्याल रखना, खुद को फिट रखना, अपने शरीर पर विशेष ध्यान देना भी एक निरंतर आत्म सकारात्मकता है।
यदि आपका मन शांत है, आपका शरीर फिट है, तो ही आप अन्य सभी कार्यों और कर्तव्यों पर ध्यान दे सकते हैं.. आपकी सफलता इसी में है..
इसलिए अपने बारे में शिकायत न करें… अगर कोई शिकायत है तो उसे सुलझाने पर ध्यान दें.. दुनिया में कोई भी परफेक्ट नहीं है.. तो हम अपवाद कैसे हो सकते हैं..??
लेकिन अगर हम परफेक्ट नहीं हैं तो भी हम बाकी सभी से अलग जरूर होंगे.. हमें अपनी इस विशिष्टता को विकसित करना चाहिए..
उस फिल्म ‘जब दुई मेट’ में करीना का किरदार एक आदर्श उदाहरण है.. अपने लिए सब कुछ करना, आत्मविश्वास और ‘, आत्म प्रेम.. और उसके ऊपर उनका संवाद… “मैं अपनी पसंदीदा हूं..!” तुम्हे याद है??
तो बात ये है कि आइए खुद को भी इसी तरह लाड़-प्यार दें.. चाहे कोई और हमारे लिए कुछ करे या कुछ न करे, कई बार हम अपने लिए ही काफी होते हैं..
यह हमारी आंतरिक शक्ति है.. जो हमें कभी निराश नहीं होने देती.. आत्म प्रेम, आत्म प्रेरणा हमें इस तेजी से बदलती दुनिया में मजबूत रहना सिखाती है..
इसलिए इस जन्म और इस जीवन को सदैव प्रेम करते हुए इस शरीर से..अर्थात स्वयं से भी प्रेम करना सीखो और इस प्रेम की शक्ति को आज़माओ..!!